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Wednesday 17 February 2016

Health Tips From Kitchen (Veg., Fruits or Spices)


1. Garlic :-

भोजन द्वारा पाएँ स्वास्थ्य धन में आज पढ़िए लहसुन के फायदे :-
१. लहसुन के पत्ते को पीसकर फोड़े-फुंसी पर लगाने से काफी फायदा होता है।
२. जोड़ों में अगा दर्द हो तो सरसों के तेल में लहसुन पकाकर मालिश करने से दर्द में आराम होता है। 
३. अगर वजन घटाना हो तो एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद तथा तीन-चार लहसुन की कली को पीसकर मिला लें तथा इसे रोज़ सुबह खाली पेट पिया करें।
४. अगर खाँसी के कारण छाती में दर्द हो रहा है तो सरसों के तेल में तीन-चार लहसुन की कली पकाकर छाती पर इससे मालिश करें।
५. लहसुन में कोलेस्ट्रोल घटाने की अद्भुत क्षमता होती है इसीलिए कोलेस्ट्रोल के रोगी को प्रतिदिन सुबह लहसुन की दो-तीन कली गुनगुने पानी के साथ खानी चाहिए।
६. अगर मुँह में छाले हो गए हों तो लहसुन के पत्ते को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ला करें। अगर टोन्सिल की शिकायत हो तो लहसुन के पत्ते को पानी में डालकर उबाल लें तथा उस पानी से गरारे करें।
७. लहसुन का सेवन किसी भी रूप में अवष्य करें क्योंकि ये पाचन शक्ति बढ़ाता है।
८. अगर चेहरे पर मुहाँसे हो गये हों तो लहसुन के पेस्ट में तीन-चार बूँद नीम के पत्ते का रस या नींबू के पत्ते का रस मिलाकर रोज सुबह चेहरे पर लगाएँ तथा आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
९. पेट में गैस ज्यादा बनती हो तो प्रतिदिन सुबह में दो कली कच्चा लहसुन खाकर एक गिलास गुनगुना पानी पी लें।
१०. जिनके बाल झड़ते हों या जिनके बाल असमय पक रहे हों उन्हें भी लहसुन किसी रूप में प्रतिदिन अवश्य  खाना चाहिए।





2. PAPAYA LEAVES :-

Photo: " The Panacea in the treatment of Dengue "

((( PAPAYA LEAVES )))

" The Panacea in the treatment of Dengue "



3. Mustard :-


शरीर पर सरसों के तेल की मालिश से सारे शरीर में खून का दौरा तेज होकर शरीर में स्फूर्ति आती है। इससे शरीर पुष्ट होता है, बुढ़ापे के लक्षण मिटते हैं, थकान दूर होती है, माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं तथा त्वचा स्वच्छ एवं झुर्रियों रहित, कोमल कांतिपूर्ण बनती है।





नवजात शिशु तथा प्रसूता, दोनों का शरीर सरसों के तेल की मालिश से पुष्ट तथा बलवान बनता है। यह शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सारे शरीर में पहुँच कर शरीर का पोषण करता है तथा शक्ति प्रदान करता है। सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश करके नहाने से शरीर पर ठण्ड का असर नहीं होता।


शरीर का रोग ग्रस्त अंग जिसमें दर्द, सूजन या गठिया हो, सरसों के तेल की मालिश से आराम मिलता है। सरसों के तेल में हींग, अजवायन, लहसुन, डालकर गर्म करके, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रखें। सर्दी के कारण हाथ, पैर, कमर में दर्द होने लगे तो इस तेल की मालिश से आराम मिलेगा। बच्चों को सर्दी लग जाने पर इस तेल की मालिश से उनकी सर्दी दूर होगी। सिर के बालों में नियमित रूप से सरसों का तेल लगाने से वे असमय सफेद नहीं होंगे, सिर में दर्द नहीं होगा, आँखों की ज्योति बढ़ती है तथा नींद ठीक आती है।


कानों में सरसों का तेल डालने से कान दर्द, बहरापन आदि कान के रोग मिटते हैं। इससे कान का मैल फूलकर बाहर निकल आता है। कान में दर्द हो या कीड़ा घुस गया हो तो सरसों के तेल में ३-४ कलियाँ लहसुन की डाल कर गर्म करके गुनगुना रहने पर १-२ बूँद कान में डालें। कीड़ा मरकर तेल के साथ बाहर आ जाएगा।


सरसों के तेल में बारीक पिसा नमक मिलाकर कुछ समय तक लगातार मंजन करने से दाँत दर्द, पायरिया आदि रोगों में लाभ होता है। जुकाम होने पर गर्म सरसों के तेल की छाती, पीठ पर मालिश करने तथा नाक के चारों ओर लगाने से लाभ होता है।
पैर के तलवों में सरसों के तेल की मालिश से थकावट दूर होती है, पैरों की शक्ति बढ़ती है तथा इससे आँखों की ज्योति भी बढ़ती है। सरसों के दाने शहद के साथ पीसकर चाटने से खाँसी में आराम मिलता है।


सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलेगा। बच्चे के पेट की तिल्ली बढ़ जाने पर सरसों के तेल को गुनगुना गर्म करके कुछ दिन उसके पेट की मालिश करें। प्रसूतिगृह की विषाक्त गंध को दूर करने के लिए सरसों के दानों की घी के साथ धूप देनी चाहिए।

तौलिए से रगड़कर चेहरा साफ कर लें। इससे मुँहासे मिटेंगे तथा चेहरा चमक उठेगा।


भुनी सरसों, भुने काले तिल, नागरमोथा, जायफल पीसकर उसमें थोड़ा बेसन मिलाकर उबटन करें। झाँई, मुँहासे , खुश्की मिटेगी तथा त्वचा लावण्यमय बनेगी।

बेसन, हल्दी, जरा सा पीसा कपूर तथा सरसों का तेल डालकर, दही या पानी के साथ घोल बना लें। इस उबटन से रंग साफ होगा तथा त्वचा में चमक आती है।
सरसों, बच, लोद, सेंधा नमक मिलाकर पानी में पीसकर मुँह पर लेप करें तथा सूखने पर गुनगुने पानी से धोकर 










4. Ginger :-

Ginger is useful for hiccough.











5. Harsingar Flowers :-










6. Best  Food For Brain :-

Brain Booster Food items
( Fruits, Vegetables & seeds).











7. Liquorice Tea :-
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए पीयें मुलेठी की चाय ।
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साधारण चाय में मुलेठी पाउडर डालकर बनाएं।
बाइल जूस के स्राव में मुलेठी होती है असरदार।
लिवर के फ्री रेडिकल डैमेज को कम करती है।
====== चाय पीने के शौकीन है तो साधारण व ग्रीन टी छोड़कर मुलेठी की चाय पीना शुरू करें। मुलेठी आपके लिए बड़े काम की चीज है। यह जरूरी नहीं है कि आप बीमार हों तभी मुलेठी का सवेन कर सकते हो। मुलेठी का प्रयोग हमेशा करते रहना चाहिए। लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। मुलेठी के सेवन से लीवर काफी मजबूत होता है।
=========एक चुटकी मुलेठी के पाउडर को उबलते हुए पानी में डालें उसमे थोड़ी सी चायपत्ती डालें। 10 मिनट तक उबालें और छान लें। इसे सुबह गरमागरम ही पियें।या इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं। पानी में घुली हुई मुलेठी कार्बन टेट्राक्लोराइड से उत्पन्न टॉक्सिक के खिलाफ काफी असरदार है।
========ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है। मुलेठी को इसके मीठे स्वाद और एंटी अल्सर एक्शन के लिए जाना जाती है। यह इंटरफेरॉन के बनने में भी मदद करती है जो कि एक प्रकार की इम्यून कोशिका होती है जो लीवर को बैक्टीरिया से बचाती है।
=========जो लोग नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोगों (जब लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है) जो पीड़ित होते हैं, उनके लीवर में ट्रांसएमाइनेज एंजाइम्स ALT और AST की मात्रा बढ़ जाती है। स्टडी के मुताबिक मुलेठी का सत्व इन एंजाइम्स की मात्रा को लिवर से कम करता है। इसलिए मुलेठी लिवर के लिए लाभप्रद है। लिवर से निकलने वाले बाइल जूस के स्राव में भी मुलेठी काफी असरदार होती है।
=========कीमोथेरेपी से लीवर को जो नुकसान पहुंचती है उसमें भी मुलेठी का सेवन लिवर को बचाने का काम करती है। यह लीवर के अंदर होने वाली फ्री रेडिकल डैमेज को कम करती है। यही कारण है कि डॉक्टर हेपाटाइटिस बी की बीमारी में मुलेठी खाने की सलाह देते हैं।
लीवर से जुड़ी बीमारियों से बचने के लिये मुलेठी की चाय का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
आयुर्वेदिक औषधिया ------ हिपेटाइटिस ( यकृत सोजश ) लिवर फैटी, साधारण पिलिया, काला पिलिया ।
1. पुनर्नवा मन्डुर - 10 ग्राम
आरोग्यवर्धिनी बटी - 10 ग्राम
गिलोय सत्व - 10 ग्राम
प्रवाल पिष्टी - 05 ग्राम
विषमज्वरांतक लौह - 3 ग्राम
-------- सबको खरल में पीस कर बराबर की 40 पुड़िया बना लें ।
एक पुड़िया सुबह - शाम शहद से खाली पेट ले ।
2. कुमारिआसव - 15 एम एल
पुनर्नवारिष्ट - 15 एम एल
दोनो को मिलाकर बराबर पानी के साथ खाना खाने के बाद ले कम से कम 3 महीना ।
सौंदर्यवर्धंक उपयोग

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